Thursday 24 November 2016

मेरे अल्फाज़ तेरी बातें..


"कुछ अनकही बातें,जगा हूँ कई रातें,
तुम जो ना मिलोगी  ,तेरी याद के सहारे,
जिंदगी को , मुस्कुराके, गुनगुनाना चाहता हूँ,
तुम्हे ख़बर भी है?मैं कितना चाहता हूँ..." ...[1】

 "कोई और कहाँ ,अब भाता है मुझे,
बस तुझे देख लूँ तो, चैन आता है मुझे,
तू ही तो है मेरे अरमानों की मंज़िल,
मंज़िल की राहों में ,मैं चलना चाहता हूँ,
तुम्हे ख़बर भी है?मैं कितना चाहता हूँ ..." [2]

"बाहों के हो झूले ,ना दिन हो ना हो रातें,
तू कहती ही रहे बस ,मैं सुनता रहूँ बातें,
यादों को समेटें, आगोश में लपेटे,
तेरी उलझे गेसुओं को ,सुलझाना चाहता हूँ,
तुम्हें ख़बर भी है?तुम्हें कितना चाहता हूँ...."[3]

"आओ तो कभी,पास मेरे तुम सनम,
तेरी आँखों में खो जाऊँगा,संग दे जो तू सनम,
जैसे दरिया को किनारा,मुझे तेरा है सहारा,
मुस्कुराके, गम मैं सारे , तेरा पीना चाहता हूँ,
तुम्हे ख़बर भी है?तुम्हें कितना चाहता हूँ...."[4]

"सागर के किनारे,लहरों से मैं बातें ,करने लगा हूँ,
जहां के सारे रिश्ते,आहिस्ते-आहिस्ते, मैं खोने लगा हूँ,
तू आएगी सोच के,अनजानी राहों पे,मैं चलने लगा हूँ,
तुम्हें ख़बर भी है?मैं कितना चाहता हूँ..
मुस्कुराके, ग़म मैं सारे, तेरा पीना चाहता हूँ....." [5]
..........."®रमण पाठक"......◆
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Monday 26 September 2016

मैं तपता रहा..


"मैं तपता रहा ,पग सहमा सहमा रुकने सा लगा ,
पर डरा नहीं मैं, ख़ुद को अपने हालात समझाने लगा ,
मुझे तो लड़ना था अपनों से,जिसने मुझे ललकारा सदा,
याद है वो दिन जब,
आँखों से बहता आँसू,बिना चीखे पीता रहा,
मैं तपता रहा,पग सहमा सहमा रुकने सा लगा "।1।

"तकिये को भिंगो रखा था नयन नीर से,
अपने आँसू छुपा रखा था ज़माने की भीड़ से,
किसी को परवाह कहाँ थी मेरे जज़्बातों की,
वो रुलाते रहे और मैं हँसता रहा ".....।2।

"अब देखो तो कभी मेरे क़रीब आकर,
क्यों दूरी बना बैठे वो अपने,मेरी कामयाबी से घबराकर,
मैं उस दिन भी कहाँ रोया था,जब मैं उनके करीब था,
वो क़िस्मत की बात थी,की उस वक़्त मैं गरीब था..."।3।
.........."रमण पाठक"...

Sunday 12 April 2015

तेरी नफरत का दीदार अब ना गवारा है,
दर्द-ए-दिल को मिला सकुन दोबारा है,
ये मत सोचना की तेरी याद में खो जाऊँगा देवदास सा,
अब कोई हमसफर भी हमारा है,
तू खोया रह अपने गुरुर में,
अब तेरी चाहत भी ना गवारा है,
कोई दुसरा अब हमसफर हमारा है.....

Friday 16 January 2015

BHAGWAAN

ना हो पता अगर भगवान कहाँ है,
तो घर अपने जाके देख,
तेरी जिंदगी सँवारने में,जिसने अपनी जिंदगी गुजार दी,
उस भगवान को, घर अपने जाके देख,
आज खुश हो कहीं दूर देश में कामयाब होकर,
तुझे कामयाब करने को जिसने खुद को भुला दिया,
उस भगवान की हालात घर अपने जाके देख,
वक्त कभी मिले जिंदगी में तो घर लौट आना,
तेरे बगैर घर कितना सुना है,
घर अपने आके देख...........

......"रमन".....

Tuesday 16 December 2014



अपनी कामयाबी पे खुश तो सभी होते हैं,
नादान हैं वो लोग जो दुसरों की कामयाबी से दुखी होते हैं,
औरों की कामयाबी पे खुश होना जिसने सीख लिया,
वही लोग सच्चे कामयाब और सुखी होते हैँ.......................
"एक मंत्र"
"रमन पाठक"
तुम्हें कैसे अब दिल में बसाऊँ,
मेरे दिल में दिल ही नहीं है,
रात का ऐसा घना छाँव है फैला,
जैसे मेरे हिस्से में दिन ही नहीं है............
...."रमन"

Sunday 28 September 2014

CATCH ME

kasam se kehte hain,hum aapko bahut mis karte hain,
hum wo nahi jo pyaar ke naam par,park me kiss karte hain,
haath pakarke movie dekhkar kya faayda,
jindagi bhar haath thaamne ki kosis karte hain,
ab to muskura ke aa jaao,
kya kahen kitni larkiyan hume paane ki saajish karte hain,
aur ham to sirf aapko mis karte hain,
aur aapke sang rahne ki koshis karte hain...........

.."Raman Pathak"


बुझती चिराग के जलने का इंतजार भी गवारा है,
बस कामयाबी के नशे में अपनों से दूरी कभी ना गवारा है ...............
.."Raman Pathak"